नजरिया
नजरिया
उगता है सूरज जब उस नीले गगन में,
वो नजरिया ही है जिस वजह से...
किसी को पूरी रात कम पड़ती है सोने के लिए,
तो किसी को दिन-रात कम पड़ जाते है सपने साकार करने के लिए I
घर में जब जन्म लेती है एक नन्ही परी,
वो नजरिया ही है जिस वजह से...
कोई उसे घर की लक्ष्मी कहता है,
तो कोई उसे घर पर बोझ समझता है I
जब दिलाते है माता-पिता जन्मदिन-दीवाली पर नए कपड़े,
वो नजरिया ही है जिस वजह से...
कोई ख़ुदा का शुक्रगुजार है अच्छी ज़िन्दगी के लिए,
तो कोई सब कुछ पाकर भी असंतुष्ट है “और” पाने के लिए I
चढ़ता है जब कोई तरक्की की सीढ़ी,
वो नजरिया ही है जिस वजह से...
कोई उससे घृणा और जलन करता है,
तो कोई उससे प्रेरणा लेकर खुद भी कुछ बनने की सोचता है I
जब ढलता है सूरज और होती है रात,
वो नजरिया ही है जिस वजह से...
किसी को अँधेरा नजर आता है,
तो किसी को चाँद-सितारों की रोशनी में सुकून महसूस होता है I
दोस्तों, अपने सोचने का नजरिया बदलिए,
नज़ारे अपने आप बदल जाएंगे,
सकारात्मकता को अपनी जीवनशैली बनाईये
आपके लिए नए रास्ते खुलते चले जाएंगे I