माता-पिता
माता-पिता
माता-पिता धरती पर,
साक्षात भगवान् का रूप है,
पिता अनुशासन और
हौसले के प्रतिक,
तो माँ प्यार का स्वरुप है।
उन्ही के आशीर्वाद से हमारी दुनिया
धरती पर जन्नत है,
बिन मांगे पूरी हुई,
माता-पिता वो खूबसूरत मन्नत है I
माता-पिता त्याग की मिसाल है,
प्यार की परिभाषा है,
उनकी औलाद करे उनका नाम रोशन,
बस यही उनकी आशा है।
पैसा-पैसा जोड़कर बच्चों को,
शिक्षित वे करते है,
खुद की तकलीफे भूलकर बच्चों का
सुनहरा भविष्य वे बुनते है I
वे तिनका तिनका जोड़कर,
अपना आशिया बनाते है,
न जाने कैसे कुछ बच्चे उन्हें,
उसी आशियाने से निकालते है।
क्यों भूल जाते है कि माता-पिता से ही,
उनका अस्तित्व है,
माता-पिता को दुःख पहुचाने वालो को,
समाज देता नहीं महत्व है I
जिनके दिल और घर में,
माता-पिता के लिए स्थान नहीं है,
ऐसे लोगो का जीवन में
कोई मान-सम्मान नहीं है>
माता-पिता को जो दुःख दे
वो इंसान नहीं है,
चूका पाए उनका क़र्ज़ कोई,
इतना धनवान नहीं हैI
औलाद का प्रथम कर्तव्य,
माता-पिता की सेवा करना है,
जिन्होंने हमें अपने पैरो पर खड़ा किया,
बुढ़ापे में हमें उनकी लाठी बनना है।
कमाना ही है तो,
उन्हें खुशिया देकर पुण्य कमाओ,
माता-पिता की सेवा के लिए,
खुद को कलयुग का श्रवण कुमार बनाओI