ए नारी, खास हो तुम
ए नारी, खास हो तुम
तुमने नारी के रूप में जन्म लिया,
यह किसी सौभाग्य से कम नहीं,
सृष्टी ने तुम्हे खुद सृष्टी होने का आशीर्वाद दिया,
इससे बड़ा कोई सम्मान नहीं।
दुनिया का काम है ताने देना,
उन तानो को तुम दिल से ना लगाना,
कब तक यु अपमान के घुट पीती रहोगी,
वादा करो, अब कुछ भी गलत तुम नहीं सहोगी।
तुम अपना मूल्य जानो,
अपनी काबिलियतो को पहचानो,
ये ज़माना क्या तय करेगा तुम्हारी सीमाएँ,
आसमान की उँचाइयों में जिसने भरी हो उड़ाने।
तुम अनमोल हो, बहुत ख़ास हो,
प्रकृति की सर्वश्रेठ रचना हो,
माँ, बहन, बेटी, बीवी के रूप में हो तुम फ़रिश्ता,
अब वक़्त है निभाने का खुद से खुद का रिश्ता।