निशां
निशां
माहौल देख आजकल का
जहन में इक सवाल आया
आजतक हमने शहीद सिर्फ
सरहद के रक्षकों को माना
आज पूरा देश घर में सुरक्षित सो रहा है,
सड़कों पर खाकी और अस्पतालों में
सफेद वस्त्र पहन भगवान
देशवासियों की सुरक्षा कर रहा है।
दो सरहदों की जंग में
कितने ही शहीदों ने दी अपनी जान,
तो कितने ही पुलिस व डॉक्टर
करोना की लड़ाई में हुए कुर्बान।
उन फरिश्तों की मजारों पर
लगेंगे हर बरस मेले।
कितने ही दुख वतन के वास्ते जिन्होने झेले
वतन पर मरने वालों का एक ही निशां रह जायेगा
दिन याद आयेंगे कदम खुदबखुद
घर की चौखट पर मुड़ जायेगा।