निरक्षरता से साक्षरता की ओर
निरक्षरता से साक्षरता की ओर


इन आँखो ने भी देखे सपने,
मैं भी बस्ता लेकर स्कूल जाऊँगा
पढ-लिखकर कुछ बन जाऊँगा ,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे।।
अपनी एक पहचान बनाऊँगा ,
देश के गौरव में शान बढ़ाऊँगा ,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे ।।
मगर गरीबी ने हथेली में पढ़ाई की रेखा खींची नहीं ,
हाथों ने कभी किताब-काॅपी उठानी सीखी नहीं ,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे ।।
अध्यापक के उपदेशों कानों ने कभी सुना नहीं,
पाठशाला को कभी अंदर से जाकर देखा नहीं,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे ।।
पेट की आग ने क़लम और किताब की जगह,
बेबसी और लाचारी ने रोजगार थमा दिया ,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे ।।
जब निकलता पाठशाला से होकर,
मानों ऐसा लगता जैसे मुझको मुँह चिढ़ता,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे ।।
मैंने भी मन में ठाना,
निरक्षरता से है अब आज़ादी पाना,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे।।
साक्षरता मिशन में सम्मिलित होना,
खुद को अक्षरों से पहचान कराना,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे।।
माँ-बाप को ये यकीन दिलाएंगे ,
काम के साथ पढाई भी करेगे,
मेरे भी कई ख़्वाब सजे।।
अब मैं पढ़ने जाता हूँ,
सबको ये संदेश भी देता हूँ ,
"पढेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया! "