Bhoop Singh Bharti
Tragedy
धीरे धीरे खोस रे, म्हारे सब अधिकार।
निजीकरण की आड़ म्ह, छीन ले रोजगार।
छीन ले रोजगार, फेर आवै बेकारी।
मारा गया गरीब, देख ली चौकीदारी।
कहै भारती खूब, पाँव बाँधी जंजीरें ।
शोषित शासक वर्ग, बणै ये धीरे धीरे।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
एक दवा भी है एक रक्षा कवच भी है हमारा ये एकाकीपन एक दवा भी है एक रक्षा कवच भी है हमारा ये एकाकीपन
ना फेर मुँह भाई, यह तेरा ही क़हर है। आज जल यहाँ जो, बन गया ज़हर है।। ना फेर मुँह भाई, यह तेरा ही क़हर है। आज जल यहाँ जो, बन गया ज़हर है।।
अमीर हो या गरीब हर तबका परेशान है। अमीर हो या गरीब हर तबका परेशान है।
नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं। नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं।
भरी पड़ी मिसाल निडरता की तू बनी मिसाल इंसानियत की भरी पड़ी मिसाल निडरता की तू बनी मिसाल इंसानियत की
कितनी भयंकर है यह बीमारी, न जाने कब आ जाए किसकी बारी, कितनी भयंकर है यह बीमारी, न जाने कब आ जाए किसकी बारी,
गर्मी ने किया बुरा है हाल, आज ग्लोबल हुआ है लाल। गर्मी ने किया बुरा है हाल, आज ग्लोबल हुआ है लाल।
मैंने कड़ी धूप में मानवता को लड़ते देखा पेट की खातिर सशरीर श्रमिक को तपते देखा।। मैंने कड़ी धूप में मानवता को लड़ते देखा पेट की खातिर सशरीर श्रमिक को तपते देखा।...
अब मनुष्य खुद मनुष्य को ही खा जाना चाहता है।। अब मनुष्य खुद मनुष्य को ही खा जाना चाहता है।।
क्या, मेरे वजूद के खत्म होने पर इंसानी वजूद बना रहेगा? क्या, मेरे वजूद के खत्म होने पर इंसानी वजूद बना रहेगा?
जिसे जीने के लिए चाहिए बस रोटी, कपड़ा और मकान जिसे जीने के लिए चाहिए बस रोटी, कपड़ा और मकान
पृथ्वी एक और सभी के लिए है हमारे पूर्वजों की संपत्ति नहीं पृथ्वी एक और सभी के लिए है हमारे पूर्वजों की संपत्ति नहीं
हाँ ,मैं एक स्त्री हूँ और मुझे मन मारने का शौक है। हाँ ,मैं एक स्त्री हूँ और मुझे मन मारने का शौक है।
गरीब के बच्चे को तब उसकी मांँ को सड़क का खरीदार बना दिया। गरीब के बच्चे को तब उसकी मांँ को सड़क का खरीदार बना दिया।
आत्मा का इश्क़ अब आत्मा से नहीं बल्कि बदन का बदन से होता है आत्मा का इश्क़ अब आत्मा से नहीं बल्कि बदन का बदन से होता है
देशवासियों पर रहम करो देशवासियों पर रहम करो
सब्जी वाला छुपते छुपाते निकल जाता है गलियों में साथ सब्जी की रेडी लेकर। सब्जी वाला छुपते छुपाते निकल जाता है गलियों में साथ सब्जी की रेडी लेकर।
हमने ज़हर हवाओं में है घोला, लगता है... फूट-फूट के धरती रो रही है। हमने ज़हर हवाओं में है घोला, लगता है... फूट-फूट के धरती रो रही है।
क्यूं पूजते हैं वे दरिंदे शक्ति को,जब दे नहीं सकते एक नारी को उसके हिस्से का सम्मान। क्यूं पूजते हैं वे दरिंदे शक्ति को,जब दे नहीं सकते एक नारी को उसके हिस्से का सम्...
हम इतने मायूस हुए कि अपना शहर ही छोड़ दिया हमने अपने आप को भूलाकर दूसरा जहान बसा लिय हम इतने मायूस हुए कि अपना शहर ही छोड़ दिया हमने अपने आप को भूलाकर दूसरा...