निजीकरण
निजीकरण
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धीरे धीरे खोस रे, म्हारे सब अधिकार।
निजीकरण की आड़ म्ह, छीन ले रोजगार।
छीन ले रोजगार, फेर आवै बेकारी।
मारा गया गरीब, देख ली चौकीदारी।
कहै भारती खूब, पाँव बाँधी जंजीरें ।
शोषित शासक वर्ग, बणै ये धीरे धीरे।
धीरे धीरे खोस रे, म्हारे सब अधिकार।
निजीकरण की आड़ म्ह, छीन ले रोजगार।
छीन ले रोजगार, फेर आवै बेकारी।
मारा गया गरीब, देख ली चौकीदारी।
कहै भारती खूब, पाँव बाँधी जंजीरें ।
शोषित शासक वर्ग, बणै ये धीरे धीरे।