नीलकंठ हैं वो
नीलकंठ हैं वो
मृग छाल लपेटे भष्म मले आकंठ हैं,
गले में सर्प जटा में गंगा वो नीलकंठ हैं।
नील पीत वर्णी आनन कपोलन उनके,
शिव और रति दो बदन एक तन बने जैसे !
अर्धनारीश्वर का उनके स्वरूप अभिन्न लगे,
प्रकृति के श्रेष्ठ पुरुष साकार सुकिच्चन सजे !
मृदुल स्मित मोहक है शिव की छब निराली,
समाहित सम्मोहक अधरन पर भोर की लाली !
चुम्बकीय मुखड़ा महेश का चुपके निरखे गौरा,
प्रणय की मनोहारिणी मुद्रा में बैठी तुलसी चौरा !
युगों युगों की शिव पार्वती की प्रीत है सुहानी।
जानें उनके आदर्श दाम्पत्य जीवन की कहानी !
मुख पर घुँघराली अलकावलि लट मतवाली,
तने हुए हैं भृकुटि वक्र नैना मुखर हैं चंद्रावलि !
सृष्टि के प्रेमसिक़्त सफल जोड़े बड़े सुहावने,
महादेव व रति प्रेम समर्पण सिखाते लुभावने !