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Vimla Jain

Tragedy

4.5  

Vimla Jain

Tragedy

नीली आंखें

नीली आंखें

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एक समय की बात बताऊं।

चला जा रहा था, मैं कहीं

अकेला तन्हा तन्हा तभी मुझे मिली एक सुंदरी।

क्या सुंदर थी नीली आंखें ।

झील सी गहरी आंखें ।

मैं तो डूब गया उसमें।

देखता ही रह गया,

फिर मेरा मन उछलने लगा,

खुश खुश रहने लगा।

मैं उसके साथ अपनी मित्रता को बढ़ाने लगा।

मुझे मेरा जीवन अब संपूर्ण लगा।

क्योंकि एक प्यारी सुंदरी का साथ जो मिला.

उसने मेरी कमजोरी को जान लिया था।

कि उसकी नीली आंखों की गहराई में मैं खो गया था।

मगर मुझे ना मालूम था।

वह मुझसे छल करती थी।

एक दिन जब वह मुझे मिली।

मैं थोड़ा डर गया,

घबरा गया, देखता क्या हूं।

उसकी एक आंख नीली है।

और एक आंख भूरी मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया ।

मैंने उससे पूछा यह क्या चक्कर है ।

तो वह हंस कर बोली यह कांटेक्ट लेंस काचक्कर है।

आज एक कांटेक्ट लेंस मेरा गिर गया

इसलिए आंख नीली से भूरी हो गई

मैं जो आसमान पर चल रहा था।

जमीन पर गिर पड़ा।

नीली आंखों के चक्कर में मैंने धोखा खा लिया।

जो इतनी सी बात पर झूठ बोले ।

वह क्या मेरी जीवनसंगिनी बनेगी।

झूठ के पांव पर कभी जीवन रूपी इमारत खड़ी नहीं हो सकती।

जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला।

और मैं वापस जमीन पर आ गया।



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