नीलगगन
नीलगगन
प्रकृति अपने आप में सम्पूर्ण
इंसान के लिए जीवनदायिनी
नीचे धरती
ऊपर आकाश
असीमित- अनंत तक फैला नील गगन
इसी नील गगन में
उमड़ घुमड़ बादल
मन के उमड़ते भावों की तरह
सीमाहीन क्षितिज तक
.हर रोज निहारूँ
हर रोज विचारूँ
कितने रूप बदल कर आते
हर रूप मन को लुभाते
अद्भुत करिश्मा कुदरत का
ये नील गगन
हमारी इच्छाओं की तरह
न कोई छोर न अंत
प्रयास अगर करो
बढ़ता ही जाता ।
