नई नीव रखनी होगी
नई नीव रखनी होगी
कब तक लकीर के फकीर होते रहोगे
दकियानूसी परंपराओं को ढोते रहोगे
ढहे हुए ख्वाबों को संजोते रहोगे
अब भी ना जाग पाए तो ताउम्र सोते रहोगे
यथार्थ के धरातल पर परिवर्तन की खातिर
कथनी नहीं करनी होगी
तोड़कर कुछ प्राचीरें
नयी नींव रखनी होगी!"