निगाह
निगाह
निगाहों ने धोखा, तुम्हीं से है खाया,
निगाहों ने तुमको ही, अपना बताया ।
निगाहें सलामत, तेरे दीद से हैं,
निगाहें सुकून, एक झलक से है पाया ।
निगाहों की किस्मत में, कैसी जुदाई,
निगाहों ने हमको, वफा भी सिखाया ।
निगाहों में आँसु की, वजह मेरी तुम,
निगाहों ने सपना, मोहब्बत दिखाया ।
निगाहें करम गर, निगाहों पे कर दो,
निगाहों ने चाहत, में पलकें बिछाया ।
निगाहों की फितरत, निगाहें समझती,
निगाहों के राहों से, तू दिल में आया ।
निगाहों में सूरत, हसीन चाँद की तुम,
निगाहों ने दिल में, जगह फिर बनाया ।
निगाहों की अपनी, ज़ुबान खास कैसी,
निगाहो ने मंज़िल भी, तुमको बनाया ।
निगाहें भी दिलकश, हसीन जैसे मंज़र,
निगाहों ने कैसे, मुझे भी रूलाया ।