निगाह ए शराब है
निगाह ए शराब है
हर सु एक ताब है
रश्क ए महताब है
हुस्न ए कलम से,
इश्क़ ए किताब है
रिंद ए मयखाने में,
निगाह ए शराब है
बा अदब हुस्न को,
लाज़िम हिजाब है
रू ब रू तिर्गियों में,
अंजुमां व आफताब है
बह पेश ए गुलदस्ता ऊ,
सिर्फ दिल इंतिखाब है
हुस्न ए सूबू में 'हसन'
जाम पीना सवाब है।
