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MS Mughal

Fantasy

4  

MS Mughal

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निगाह ए शराब है

निगाह ए शराब है

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हर सु एक ताब है 

रश्क ए महताब है 


हुस्न ए कलम से,

इश्क़ ए किताब है


रिंद ए मयखाने में,

निगाह ए शराब है 


बा अदब हुस्न को, 

लाज़िम हिजाब है 


रू ब रू तिर्गियों में, 

अंजुमां व आफताब है 


बह पेश ए गुलदस्ता ऊ, 

सिर्फ दिल इंतिखाब है 


हुस्न ए सूबू में 'हसन' 

जाम पीना सवाब है।


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