नहीं मन भरा
नहीं मन भरा


जवाबों का आलम जवाबों से पूछो,
सवालों से जिनका नहीं मन भरा ।
किताबों का आलम किताबों से पूछो,
पढ़ा कर भी जिनका नहीं मन भरा ।।
गुनाहों का आलम खताओं से पूछो,
सजा से भी जिनका नहीं मन भरा ।
दिलों का ये आलम निगाहोंसे पुछो,
बताकर भी जिनका नहीं मन भरा ।।
कशमकश ये दिलों की रूकी है लबों पे,
लबों से न हो पाइ है ये बयां ।
लबों का ये आलम वफाओं से पूछो,
मलालों से जिनका नहीं मन भरा ।।
ग़मों का ये आलम नसीबो से पूछो,
दुआओं से जिनका नहीं मन भरा ।
एहसासों का आलम सदाओं से पूछो,
जताकर भी जिनका नहीं मन भरा ।।
जिंदगी का ये आलम इन सांसों से पूछो,
हवाओं से जिनका नहीं मन भरा ।
अस्थियों का ये आलम चिताओं से पूछो,
जलाकर भी जिनका नहीं मन भरा ।।
है उलझी हुई जिंदगी भी तो ग़म क्या,
उलझनों से न हम डरने वाले कभी ।
राहतों का पता तुम दुआओं से पूछो,
तुम्हारी ही अब जीत होगी सदा ।।