नहीं जाती
नहीं जाती
जानते हुए भी उसका हर राज।
हमसे टोपी उछाली नहीं जाती।
कोई राह सूझे तो बात बने ।
कुएं में सागर की परछाई नहीं आती।
कैसे कोई खाली हाथ लौटे ।
हमसे पुकार टाली नहीं जाती।
सदियों से खुद से लापता हूं मैं।
अपनी ही कहानी लिखी नहीं जाती।
जानते हुए भी उसका हर राज।
हमसे टोपी उछाली नहीं जाती।
कोई राह सूझे तो बात बने ।
कुएं में सागर की परछाई नहीं आती।
कैसे कोई खाली हाथ लौटे ।
हमसे पुकार टाली नहीं जाती।
सदियों से खुद से लापता हूं मैं।
अपनी ही कहानी लिखी नहीं जाती।