नेत्रदान महादान
नेत्रदान महादान
दीप में ज्योति जलें, राह में भरे उजास
उजास भरी राह को, कहें तमस सूरदास।
दुनिया सूरदास की आबाद करें, करके नेत्रदान
जीवन में उसके शाद भरें, करें जब जग से प्रस्थान।
सूरदास को दृष्टि मिली, मिला उसे दर्जा ईशान
मर कर भी जिंदा रहें, आँखें जिसकी देखें जहान।
दो नयन दृष्टि का आधार धरें, दृष्टि से जग गुलजार
दृष्टि को ना बेकार करें, करें नेत्रदान से तम उद्धार।
दानपात्र में दो नयन धरे, करें कर्म महान
देही अग्नि खाक करें, आँखें देखे जहान।
ज्योति का मान करें, करके ज्योति दान
अँधे को आँखें मिलें, प्राण पहुँचे शमशान।