नेम प्लेट
नेम प्लेट
राजी हो गए माता -पिताअलग रहने को
बहू पांव छू रही थी कहने को।
बांध लिया था माँ बाप ने अपना
बोरिया बिस्तर कहीं और ही रहने को।
घर की चाबी थमा दी बहू को
जाते जाते पलटे थे पिता शायद कुछ कहने को।
पट्टी जो लगी थी सामने उसे पिता ने उखाड़ लिया था
पट्टी पे लिखे लफ़्ज़ों को पढ़कर मुस्कुरा दिए वो।
हालांकि नमी भी उभरी थी आंखों में
पट्टी पे लिखा था -वसुधैव कुटुंबकम।
