Zahiruddin Sahil
Abstract
दुआ भी करो ,
तो दवा भी करो !
थोड़ी सी दुनिया रखो,
थोड़ा सा ख़ुदा भी रखो !!
सुबह
रंग ए वतन
भेज भइया को ब...
आशियाना
अमल
इशारों क...
बुलावा
पैगाम
आँगन
होने से
दशरथ सत्कार किया, कहा जो भी मांगोगे तुम स्वामी इच्छा करूंगा पूरी मैं प्रण किया और । दशरथ सत्कार किया, कहा जो भी मांगोगे तुम स्वामी इच्छा करूंगा पूरी मैं प्...
बेशर्म बने कि आगे निकल गए इधर गए उधर गए जाने कहाँ खो गए ! बेशर्म बने कि आगे निकल गए इधर गए उधर गए जाने कहाँ खो गए !
तभी ये देश वापिस सोने की चिड़िया हो पायेगा गर गद्दार न मारे तो फिर से देश गुलाम हो जाये तभी ये देश वापिस सोने की चिड़िया हो पायेगा गर गद्दार न मारे तो फिर से देश गुला...
दिलों के किवाड़ों को खोलकर उनके दिलों में जगह पाने का। दिलों के किवाड़ों को खोलकर उनके दिलों में जगह पाने का।
तो कुछ तृप्त अपनेआप को समझती हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ। तो कुछ तृप्त अपनेआप को समझती हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
बच्चो्ं की शिकायतें सुन सुन कर वक्त हो जाए ख़त्म। बच्चो्ं की शिकायतें सुन सुन कर वक्त हो जाए ख़त्म।
वक्त है तो वक्त है अब अपनी दिखानी शक्ति का। वक्त है तो वक्त है अब अपनी दिखानी शक्ति का।
जंगल और समुद्रों के जीव जंतु सब लुप्त हुए, जंगल और समुद्रों के जीव जंतु सब लुप्त हुए,
प्रयोग करो दैनिक जीवन में वो सब सामान प्रयोग करो दैनिक जीवन में वो सब सामान
आओ हम भी इन यादों की नींव पे सपनों का एक महल संजोये। आओ हम भी इन यादों की नींव पे सपनों का एक महल संजोये।
जो मांगोगी वही मिलेगा सौगंध राम की मैं हूँ खाता। जो मांगोगी वही मिलेगा सौगंध राम की मैं हूँ खाता।
माता पिता और गुरु कृपा से विद्या ख़त्म हो गई थी अब। माता पिता और गुरु कृपा से विद्या ख़त्म हो गई थी अब।
बड़ी हो गई फिर भी बच्चों की तरह मुस्कराती हूँ। बड़ी हो गई फिर भी बच्चों की तरह मुस्कराती हूँ।
नदी की तरह अविरत तुझको है आगे बढते जाना ऐ राही ना है तुझे कहीं रूकना तू थक मत जाना। नदी की तरह अविरत तुझको है आगे बढते जाना ऐ राही ना है तुझे कहीं रूकना तू थक ...
क्यूंकि चादर तान के इनका जमीर सो रहा है श्श्श्श... मेरा देश सो रहा है। क्यूंकि चादर तान के इनका जमीर सो रहा है श्श्श्श... मेरा देश सो रहा है।
किस रिश्ते से ले आए हैं आप हमें गुलिस्तान से। क्या रिश्ता है हमारा आपसे ? किस रिश्ते से ले आए हैं आप हमें गुलिस्तान से। क्या रिश्ता है हमारा आपसे ?
इस धरती के सीने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान। इस धरती के सीने से निकलता है सोना, जब हल चलाता है किसान।
मिटा दो ये कन्या भ्रूण हत्या का चलन बेटियों को दो जीवन का अधिकार ! मिटा दो ये कन्या भ्रूण हत्या का चलन बेटियों को दो जीवन का अधिकार !
इसीलिए तू चश्मा है लगाती, इसीलिए तू चश्मा है लगाती,