रंग ए वतन
रंग ए वतन
तुमने गौर न किया होगा प्यारे देश वासियो !
आज होली के रंग में मेरी शहादत का रंग भी शामिल है ! तुम भी गा और नाच रहे हो मैं और मेरे साथी भी गाये थे ...जी हाँ, लहू से खेली थी हमने होली अपने लहू में यारों के लहू मिलाये थे
हाँ !... आज होली के रंग मेंहमारी शहादत का रंग भी शामिल है
ये लो रस्सी और फन्दा बनाकर ज़रा गले पे कस के देखो "हा! हा !हा "क्या हुआ खांसी आ गई ? यारों ..यही तो वो फन्दे हैं जो चूम के गले से हमने लगाये थे हिंदुस्तान के हुस्न की खातिर हँस के पीठ पे कोड़े खाये थे
हमने भी रंगी थी अपनी
आज़ादी की दिलरुबा कसमो के रंग में लहू का रंग मिलाया था क्या बताऊँ प्यारों क्या होली थी अपनी गले पे कसा था फन्दा , रूह में बज रही थी आज़ादी की सरगम ,आंखों में थी आज़ादी की रंगोली
खुदगर्जी के रंगों में हमारी शहादत ...तुम्हे क्या याद होगी ?रब से जो हमने की थी वो फरियाद, तुम्हे क्या याद होगी ?
अब भी बड़े नाज़ से हम अपने किये को देखते हैं क्या कहें आँसू भरी आँखों से तुमको ..... हम तो कल भी यही कहते थे हम तो आज भी यही कहते हैं -" दर ओ दीवार पे हसरत की नज़र करते हैं खुश रहो एहले वतन .!.,, हम तो सफ़र करते हैं ..."