STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Romance

2  

Shailaja Bhattad

Romance

नए तराने

नए तराने

1 min
280


बजने लगे हैं सरगम के नए तराने

महकती चाँदनी में दिल ने जब साज छेड़े

लगती थी जो अबूझ पहेली तुम

खुली किताब सी बन गई हो तुम


उम्मीद की किरण सी रोशन

मेरी परछाईं बन चली हो तुम

ख्वाहिशों से रंगकर

मेरी ख़ुशियों की धुन बन गई हो तुम


दिल से हँसने लगी हो तुम

दीया बाती के रिश्तों में ढल रही हो तुम

अनूठी मनचली राहों पर दिल का कारवां चल पड़ा है

हर लम्हे को तस्वीर बना रहा है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance