नए तराने
नए तराने
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बजने लगे हैं सरगम के नए तराने
महकती चाँदनी में दिल ने जब साज छेड़े
लगती थी जो अबूझ पहेली तुम
खुली किताब सी बन गई हो तुम
उम्मीद की किरण सी रोशन
मेरी परछाईं बन चली हो तुम
ख्वाहिशों से रंगकर
मेरी ख़ुशियों की धुन बन गई हो तुम
दिल से हँसने लगी हो तुम
दीया बाती के रिश्तों में ढल रही हो तुम
अनूठी मनचली राहों पर दिल का कारवां चल पड़ा है
हर लम्हे को तस्वीर बना रहा है