नदियाँ
नदियाँ
देश के कोने-कोने में
एक मधुर संगीत-सा कहती रहती हैं
जंगल, शहरों, गाँव में
कलकल जो नदियाँ बहती हैं
हमारी संस्कृति, सभ्यता को
यही तो समेटे हुए हैं
रीति-रिवाज परंपराओं को
संग अपने लपेटे हुए हैं
भिन्न-भिन्न त्योहारों पर
इनका पूजन हम करते हैं
कुछ विशेष अवसरों पर
मूर्ति विसर्जन करते हैं
हम पूजते हैं इनको यूँ
जीवनदायिनी माँ हो जैसे
बड़ी-बड़ी चट्टानें भी
झुक कर नमन करती ऐसे
अपने जल से सींच कर
फसलों को लहराती हैं
सब जीवों को नवजीवन दे
मानो हृदय से लगाती हैं
गाँव में सब बच्चे मिलकर
नदियों में नहाने जाते हैं
पाकर शीतल जल की धारा
आनंदित हो जाते हैं
गाँव, कस्बों से होती हुई
बड़े शहरों में निकल जाती हैं
और आखिर में यह सब नदियां
सागर में मिल जाती हैं
बेखौफ़ होकर बहती हैं
हर मन को मोह जाती हैं
मनुष्य हो या जानवर
सबका मैल धो जाती हैं
बरसों की हमारी संस्कृति की
झलक यही दिखाती हैं
पशु-पक्षी हो या कोई भी जीव
सबकी प्यास मिटाती हैं
जम्मू से कन्याकुमारी हो
या पूरे ही विश्व की बात करें
नदियों से ही जीवन उपजा
इनका दिल से धन्यवाद करें..।
