नौबहार
नौबहार
मिले बसंत बहार तो सृष्टि पर नव संचार हुआ,
प्यार का रंग मिल गया तब राग नौबहार हुआ,
मंद बहती हुई वो हवा सुरभित धरा महका रही,
जिससे जीवन-तन पाकर दोनों को प्यार हुआ,
रुन-झुन पायल बजे तो पुनर्मिलन राग सुहाये,
उपवन कलिका मुस्काई फूलों का श्रृंगार हुआ,
पवन चले झकझोर शोर कर हलचल बिखरावे,
हलचल में बस तेरा इस दिल को इंतजार हुआ,
नौबहार में उसकी निगाहें हमें देख इतरा रही है,
इन इतराती हुए निगाहों से ही हमको प्यार हुआ,
मूक नयनों के उन इशारो से 'सोनी' उसको तो,
मधु -मिलन के पल में प्यार का इजहार हुआ II