नाज़ ऐ इश्क...
नाज़ ऐ इश्क...
यह इश्क़ है, जनाब
न हो तो हर्ष मनाना दोस्तों
और गर हो जाये तो
इश्क़ को जरा नाज़ों से
रखना दोस्तों
महोब्बत की रोज़ी सभी के
किस्मत में नहीं आती
गर हो इत्तफ़ाक से तो
सरांखो पर रखना दोस्तों
यह इश्क़ हैं, जरा नाज़ो से रखना दोस्तों
भूल अगर उसकी हो कोई तो
तुम जऱा लड़खपन समझ लेना
वो हो अगर जिद्दी तो तुम जऱा
ठहराव सा दमन रखना
वो हो अगर क्रोधी तो तुम
मुस्कान का श्रृंगार रखना
यह इश्क़ है, जरा नाज़ों से रखना
चलो माना की वो इश्क़ में
जऱा गम्भीर नहीं है।
चलो माना कि तुम्हारी नादानियां
शातिर नहीं है।
क्या हुआ जो गर वो इश्क़ में
तुम्हें वजूद नहीं दिया करते
एकतरफा जो गर हो जाये
तो दिल समुंदर सा रखना दोस्तों
यह इश्क़ है, जरा नाज़ों से रखना दोस्तों
जऱा ठहरो इश्क़ की वादियों में
चन्द लम्हे उसके नाम तो होने दो
महसूस हुआ है मुझे कुछ खोया सा लगता है।
यह एहसास जऱा उसे भी होने दो
गर हो जाये एहसास उसे भी तो
क़बूल कर लेना दोस्तों
यह इश्क़ है, बन्दिशों से स्वतंत्र रखना दोस्तों
यह इश्क़ है, जरा नाज़ों से रखना दोस्तों।