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Kavita Sharrma

Abstract Others

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Kavita Sharrma

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नारी

नारी

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ऐसा लगता होगा तुमको 

पर इंसान अगर समझो मुझको भी 

जिसके सीने में भी है दिल 

मैं कोई खिलौना नहीं 

जिससे सिर्फ बहला जाये

न ही कोई शो पीस हूँ जिसे

घर की खूबसूरती बढ़ाये

न अतृप्त इच्छाओं को शांत 

करने का जरिया भर

मैं भी इक कोमल दिल की नारी हूँ

सुलझी पहेली प्यारी हूँ 

मैं इक कोमल मन की नारी हूँ


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