नारी
नारी


एक सवाल मन में है
आशंकित हूँ कुछ कहने से
नारी की इज्जत करने वाले
लगते हैं असभ्य से
सोच नहीं है ये मेरी
पर सच का आईना आज यही
जो देह छोड़ मन देखे
लगता है बेवकूफ इन्हें
मैं कहता नहीं समान सब है
कुछ नर कुछ नारी हैं
बाकी बलात्कार को भी
मीडिया चलचित्रों में
जैसे दिखलाया जाता है
घृणित अपराधी का
गुणगान गाया जाता है
पर बात असल जो आती है
मन उद्वेलित कर जाती है
दिल से इज्जत जो करते
क्यों नारी उन्हें तज जाती है
क्यों नारी उन्हें तज जाती है।