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Sam Samrat

Drama Tragedy

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Sam Samrat

Drama Tragedy

नारी

नारी

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जो ईश्वर की धरती की

सबसे सुंदर कृति है

जो ममता मई ह्रदय की

एक भोली मूर्ति है।


जो समाज की पहली और

अद्भुत एक विधाता है

जिससे हम पुरुषों का

एक अटूट सा नाता है।


उसका ह्रदय ऐसा

विशाल जैसे धरती माता है

क्षमा, दया, ममता,

की वो एक ऐसी मूरत है।


जिसकी हम पुरुषों को

जन्म से ही जरूरत है

जो अपने आँचल से

ममता का प्यार लुटाती है।


जो कभी माँ अनसूया तो

कभी काली बन जाती है

अमृत मई जिसकी छाती है

जो हम दीपकों की बाती है।


जो अपनो के हित के खातिर

कुछ भी कर जाती है

जो दो परिवारों के मेल के खातिर

गैरो संग समय बिताती है।


सारे गमों को चुप मौन हो सहती

किसी को कुछ न बताती है

अंदर-अंदर घुटती है पर

बाहर केवल मुस्काती है।


जो अपनों के हितों के खातिर

चादर सी बिछ जाती है

ऐसी भोली भाली नारी को

जाने क्यों लोग छलते हैं।


चंद सिक्को में इसको

जाने क्यों तोलते हैं

क्यों भोली-भाली नारी

हर बार अपमानित की जाती है।


क्यों कभी-कभी सड़कों पर

इसकी इज्जत उतारी जाती है

क्यों इसे ममता मई होने

का इनाम दिया जाता है।


हर बार क्यों इस भोली-भाली

नारी को ही बदनाम किया जाता है

कहीं दहेज तो कहीं सभ्यता

के नाम पर सताई जाती है।


हर बार नारी ही क्यों

दोषी ठहराई जाती है

क्यों फूल सी बच्चियाँ

गर्भ में ही मार दी जाती हैं।


वो कौन सी संस्कृति और

सभ्यता का नुकसान पहुँचाती है

क्यों नारी को अब भी

शिक्षा से रोका जाता है।


क्यों उन्हें अपना सपना पूरा करने से

बार-बार टोका जाता है

क्यों नारी को केवल

जुल्मों सितम सताया जाता है।


क्यों हर बार नारी का ही

अश्रु बहाया जाता है।।


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