भ्रुण हत्या
भ्रुण हत्या
दुनिया के इस छल, दम्भ, द्वेष से अनजानी हूँ
कभी माँ सीता सी हूँ, तो कभी राधा सी दीवानी हूँ।
कोख में ही क्यों मार देते हो माँ-पापा मुझे
आखिर मैं भी तो तुम्हारे प्यार की एक निशानी हूँ।
शर्म हया की चादर उतार दी जाती है
अपनी होकर भी बिसार दी जाती है।
किसी को दहेज ना देना पड़े अतः
कोख में ही बेटियाँ मार दी जाती हैं।
कलियों को फूल बना कर तो देखो,
नदियों को सागर से मिला कर तो देखो,
क्यों मार दी जाती हैं कोख में बेटियाँ,
तुम्हारा घर आँगन महका देंगी,
इन्हें धरा पर ला कर तो देखो।।
