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Harshita Jain

Abstract Others

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Harshita Jain

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नारी तेरी कहानी

नारी तेरी कहानी

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खामोशी को जब उसकी तुमने डर माना,

तब आवाज़ बुलंद कर अपनी उसने सब बदलने को ठाना,

जो अब तक मौन थी तुम्हारे सम्मान के लिए,

वो अब लड़ेगी अपने स्वाभिमान के लिए,

एक अकेली नारी ही पड़ेगी सब पर भारी,

सम्मान कर उसका रहना सदा उसके आभारी ।


शक्ति उसके अंदर कम नहीं,

मौन रहना कमजोरी उसकी, है तुम्हारा भ्रम यही।

पल -पल तेरे सपने पूरे करने अरमान उसने अपने तोड़े,

तेरे संग कदम मिलाने को ही अरमान अपने पीछे छोड़े ।


बारी है अब तेरी उसका साथ निभाने की,

मिलकर संग उसके हर मुश्किल से लड़ जाने की।


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