अभिव्यक्त
अभिव्यक्त
अब और न तू सब्र कर
खुद को अब तू अभिव्यक्त कर
कमी नहीं कहने वालों की
मौन कमजोरी नहीं
अपितु ताकत है कहने वालों की
न परवाह कर तानों की
न कर फिक्र ज़माने की
बहुत कमाई इज्ज़त सबसे
अब बारी अभिमान कमाने की
न कर तू चिंता वादे निभाने की
बारी है अब नए इरादे बनाने की।