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Jain Sahab

Abstract

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Jain Sahab

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अभिव्यक्त

अभिव्यक्त

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अब और न तू सब्र कर 

खुद को अब तू अभिव्यक्त कर

कमी नहीं कहने वालों की

मौन कमजोरी नहीं


अपितु ताकत है कहने वालों की

न परवाह कर तानों की

न कर फिक्र ज़माने की

बहुत कमाई इज्ज़त सबसे


अब बारी अभिमान कमाने की

न कर तू चिंता वादे निभाने की

बारी है अब नए इरादे बनाने की।


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