STORYMIRROR

Devkaran Gandas

Classics

4  

Devkaran Gandas

Classics

नारी शक्ति

नारी शक्ति

1 min
630

जिसकी गोद में खेलती है

प्रलय और सृजन शक्ति,

देवता भी करते आए हैं जिसकी

नित निरंतर भक्ति,

जिसके बिना अधूरी है धरती

प्रणाम है तुझे ऐ नारी शक्ति।


तुझ बिन सृजन अधूरा है

इस चराचर सकल जगत का,

तुझ बिन कहां कोई पूरा है

एक पदार्थ भी इस जगत का,

तुझ में बसा है सकल ब्रह्माण्ड

तू ही करती है सबकी मुक्ति,

प्रणाम है तुझे ऐ नारी शक्ति।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics