नारी शक्ति
नारी शक्ति
जिसकी गोद में खेलती है
प्रलय और सृजन शक्ति,
देवता भी करते आए हैं जिसकी
नित निरंतर भक्ति,
जिसके बिना अधूरी है धरती
प्रणाम है तुझे ऐ नारी शक्ति।
तुझ बिन सृजन अधूरा है
इस चराचर सकल जगत का,
तुझ बिन कहां कोई पूरा है
एक पदार्थ भी इस जगत का,
तुझ में बसा है सकल ब्रह्माण्ड
तू ही करती है सबकी मुक्ति,
प्रणाम है तुझे ऐ नारी शक्ति।
