STORYMIRROR

Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

4  

Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

नारी की हिम्मत

नारी की हिम्मत

1 min
412

छलकती आँखें नारी की देखी है, 

बेदर्द ज़माने की बेरूखी देखी है। 


नारी करती हमेशा संघर्ष देखी है, 

नारी की सहने की शक्ति देखी है। 


नारी की हिम्मत बहुत ही देखी है, 

नारी सबकुछ बर्दाश्त करें देखी है। 


प्यार ही सदा बाँटते हमनें देखी है, 

माँ की ममता हमेशा हमनें देखी है। 


रातों को छुप-छुप कर रोते देखी है, 

हर एक औरत देवी रूप में देखी है। 


ये सृष्टि नारी बिन ख़्वाब में देखी है, 

नारी नहीं होती तबाही ही देखी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract