"नारी गौरव "
"नारी गौरव "
तुम श्रेष्ठ थी, हो, रहोगी
इस बात का मान रखो
अपने उठते कदमों से
अपने होने का सम्मान करो
कोई ऐसा क्षेत्र नहीं,
जहां तुम्हारा हस्तक्षेप नहीं
संगीत हो या हो खेल,
राजनीति या एवरेस्ट
अपना परचम लहरा आई हो
नारी हो, नारी का मान बढ़ाई हो
कोमलता गर गहना है
वीरता को तुमने पहना है
कभी अहिल्याबाई,
तो कभी मैरीकॉम
बन जाती हो
अरुणिमा बन,
एवरेस्ट चढ़ जाती हो
नभ से दूरी भी कम कर आई हो
कल्पना, सुनीता बन,
देश का मान बढ़ाई हो
हाशिये से मुख्य पृष्ठ पर आकर,
पतझड़ भी बसंत बनाई हो
बावजूद इसके कि,
गम का पर्याय कहलाई हो
हर किरदार बखूबी निभाई हो
लगते रहे कई विराम
लेकिन तुम बढ़ी अविराम
तुम्हारा व्यक्तित्व ही,
तुम्हारी पहचान है
तुम हो विश्व का गौरव,
तुम्हें शत-शत प्रणाम है।