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नारी बड़ी बेचारी है

नारी बड़ी बेचारी है

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नारी बड़ी बेचारी है,

जग जीवन सब हारी है।

कहने को तो ये देवी हैं ,

फिर क्यूँ बलात्कार करता पूजारी है।

ये पूछ रही है दुनिया से,

कब तक ये ज़ुल्म जारी है।

नारी बड़ी बेचारी है,

जग जीवन सब हारी है।

जब बचा न पाए एक बेटी को,

साहब ये कैसी जिम्मेदारी है।

जब राज कर रहे हैं गुंडे तो,

फिर न्याय की क्या भागीदारी है।

नारी बड़ी बेचारी है, 

जग जीवन सब हारी है ।


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