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Intekhab Alam

Romance

3.3  

Intekhab Alam

Romance

मोहब्बत करार है दिल का

मोहब्बत करार है दिल का

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कौन कहता है मोहब्बत करार है दिल का,

  जो छीन ले सुकून ये वो आज़ार है दिल का।

करूँ तो किस से करूँ शिकायत इसकी,

  सारे शहर पे तो इख्तियार है दिल का।

अपने क़ातिल पे ही जाँ निसार करते हैं,

   दरअसल यही तो असरार है दिल का।

एक पल जो तुझसे दूर होता हूँ,

   ऐसा लगता है ये दिल नहीं मज़ार है दिल का।

कभी ख़्वाबों में भी जो तेरा दीदार होता है,

  ऐसा लगता है आया बहार है दिल का।

दुनिया में यूँ तो लाखों हसीं है,

   पर एक तू ही सच में हक़दार है दिल का।

आज से ये दिल- व-जाँ तेरी अमानत है,

   बस इतना ही तुझसे इज़हार है दिल का।

लोग करते हैं मेरे शिकवे तो करने दे,

   ज़माना तो सदियों से अग़्यार है दिल का।

आज कल इश्क़ की बातें बहुत तु करता है,

     लगता है " इन्तखाब" तु भी लाचार है दिल का।

आज़ार- disease

असरार- secret

अग़्यार- opponent

दिल-व-जाँ- heart & life 

इन्तखाब= pen name of the poet 


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