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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Thriller

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Thriller

नाराजगी

नाराजगी

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नाराजगी जग में बुरी,

करना सभी जन प्रीत।

प्रेम प्रीत से जो रहता,

दुनिया गाती है गीत।।


छोटी सी है जिंदगानी,

नहीं ले नाराजगी मोल।

कड़वी बातें बुरी लगे,

मुख पे हो सुंदर बोल।।


जाना है भाव से पार,

सजग सदा रहो तैयार।

लाख प्रयास जन करे,

प्रभु समक्ष होती हार।।


नाराजगी स्वजन कभी,

पापी, अधम कहलाए।

दोस्ती अपनों के संग,

खुद हँसे और हँसाये।


नाराजगी उचित ना हो,

बैर भाव को बढ़ाती है,

सादगी,नम्रता जन की,

सागर पार लगाती है।।


गैरों से जब नाराजगी,

कहते बुरी उसको संत।

लंबे समय नाराज रहे,

हो जाएगा जल्दी अंत।।


नाराजगी दर्द दे जाती,

प्यार दिल में जोश दे।

हर वक्त सम रहना हो,

कभी नहीं कोई पंगा ले।।


नाराजगी जन की देख,

कितने जाते लोग दूर।

उस दाता से सदा डरो,

करना नहीं कोई गरूर।।


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