नाम तुम्हारा पुकारे है
नाम तुम्हारा पुकारे है
नयनों में तेरी प्यास बसी है
तेरी राह निहारे है
रात रात भर जग जग प्रियवर
नाम तुम्हारा पुकारे है
ह्रदय अग्नि से धधक रहा है
माना इससे भिज्ञ नहीं
लेकिन मन में क्या है मेरे
समझ गई अनभिज्ञ नहीं
फिर भी हम तुम एक नदिया के
अब भी कठिन किनारे है
रात रात भर जग जग प्रियवर
नाम तुम्हारा पुकारे है
अंत हो गया मृदुल ह्रदय का
बची न उर कोई आशा है
भाव हुये दिग्भ्रमित बिचारे
छाई घोर निराशा है
बतालाये अब क्या हम साथी
हम तो बड़े दुखारे है
रात रात भर जग जग प्रियवर
नाम तुम्हारा पुकारे है
मन का तोरण ध्वस्त हो गया
चाल चलन सब बदल गये
देर रात तक तुमको लिखकर
हम अब तो कुछ सम्हल गये
लेकिन गीत ग़ज़ल मुक्तक
तेरी यादों के चाँद सितारे है
रात रात भर जग जग प्रियवर
नाम तुम्हारा पुकारे है
राह देखते नयन ये हारे
निष्ठुर अब तो आजा रे
ज़ख्म ह्रदय अब मांग रहा है
प्रियवर कोई ताज़ा रे
आकर ज़ख्म ह्रदय को दे दो
ये नयन तुम्हें तो निहारे है
रात रात भर जग जग प्रियवर
नाम तुम्हारा पुकारे है