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Rishabh Tomar

Romance

3  

Rishabh Tomar

Romance

नाम तुम्हारा पुकारे है

नाम तुम्हारा पुकारे है

1 min
436


नयनों में तेरी प्यास बसी है

तेरी राह निहारे है

रात रात भर जग जग प्रियवर

नाम तुम्हारा पुकारे है


ह्रदय अग्नि से धधक रहा है

माना इससे भिज्ञ नहीं

लेकिन मन में क्या है मेरे

समझ गई अनभिज्ञ नहीं

फिर भी हम तुम एक नदिया के

अब भी कठिन किनारे है

रात रात भर जग जग प्रियवर

नाम तुम्हारा पुकारे है


अंत हो गया मृदुल ह्रदय का

बची न उर कोई आशा है

भाव हुये दिग्भ्रमित बिचारे

छाई घोर निराशा है

बतालाये अब क्या हम साथी

हम तो बड़े दुखारे है

रात रात भर जग जग प्रियवर 

नाम तुम्हारा पुकारे है


मन का तोरण ध्वस्त हो गया

चाल चलन सब बदल गये

देर रात तक तुमको लिखकर

हम अब तो कुछ सम्हल गये

लेकिन गीत ग़ज़ल मुक्तक

तेरी यादों के चाँद सितारे है

रात रात भर जग जग प्रियवर

नाम तुम्हारा पुकारे है


राह देखते नयन ये हारे

निष्ठुर अब तो आजा रे

ज़ख्म ह्रदय अब मांग रहा है

प्रियवर कोई ताज़ा रे

आकर ज़ख्म ह्रदय को दे दो

ये नयन तुम्हें तो निहारे है

रात रात भर जग जग प्रियवर

नाम तुम्हारा पुकारे है



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