नाज़ न करना
नाज़ न करना


ऐ सूरज तू नाज़ न करना,
अपनी तेज़ प्रकाश पर।
छुपना पड़ता है तुमको ग़र,
बादल आए ज़िद पर।।
माना तुममें तेज़ बहुत है,
रोशन कर दें धरती को।
चॉंद ग़र ज़िद पर आ जाये,
ग्रहण लगा दे तुमको वो।।
माना तुममें ताप बहुत है,
शुष्क कर दे समन्दर को।
बारिश ग़र ज़िद पर आ जाये,
फिर से भर दे समन्दर वो।।