नादान परिंदा
नादान परिंदा
'बिन वजह मेने उसे मुस्कुराते देखा,
ख़ुशी-गम की परिभाषा इन्हें क्या पता!
मेने तो दुःख में भी उनको नाचते देखा,
भोला सा चहेरा, मीठी सी मुस्कान,
बेशक निर्मल मन और दिल इनका जैसे कोई नाजुक सा कमल,
'मंदबुद्धि' नाम देखर हमने ही उसे बदनाम किया,
सच तो ये है की,
जिंदगी के हर इम्तहां को उसने हँसके जीता और आज खुदको आबाद किया।'
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