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Rashi Mongia

Abstract

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Rashi Mongia

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नादान है दिल अभी भी

नादान है दिल अभी भी

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नादान है दिल अभी भी,

इधर उधर की उलझनों में उलझ जाता है,

नादान है दिल अभी भी,

लोगों की बातों से टूट जाता है,

नादान है दिल अभी भी,

किसी के तारीफ ना करने पर रूठ जाता है,

तो किसी के मनाने पे तुरंत मान भी जाता है,

नादान है दिल अभी भी,

किसी को देखते ही खुश हो जाता है,

तो किसी को देखते ही चिढ़ जाता है,

नादान है दिल अभी भी,

घंटो किसी का इंतजार कर सकता है,

तो किसी के लिए एक पल भी नहीं निकाल सकता है,

नादान है दिल अभी भी,

दूसरों को अपना बना लेता है,

और अपनों को ही दूरियां दे जाता है,

नादान है दिल अभी भी,

अभी भी पैसों में प्यार को ढूंढ़ता है,

दोस्तों में दोस्ती ढूंढ़ता है,

नादान है दिल अभी भी,

जीतते ही खिल उठता है,

और हारते ही मुरझा जाता है,

उम्र के साथ हम तो समझदार हो गए,

ना जाने ये दिल कब समझदार होगा,

ना जाने ये दिल कब समझदार होगा।



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