ना करना गुरुर
ना करना गुरुर
हो गुरूर खुद पर ,
मगर सूरत पे अहंकार ना चमके...
शिखर को कर हासिल,
मगर इतराने पर मासूमियत ही छलके...
गुरूर हो खुद से उस जीत कि कछुए की तरह...
पर अहं ना हो दूसरे को हराने की जैसे खरगोश था हारा....
कर रकाबत अपनी खामियों से,
ये दुनिया तेरी सरहना करेगी ....
ना करना मुसबकत किसी और के हसरतों से,
वरना खुद को तन्हा ही पायेगी...
घमंड ना कर इस झूठे शान की,
ये रुतबा मिट्टी में ना मिल जाए.....
किस्मत से आज अमीर है तो कल फकीर ना बन जाए.....