शिद्दत
शिद्दत
हो इश्क बेपनाह
मगर तलब न हो उस इश्क को हासिल करने की..
हो वाकिफ़ भी,
सफर में शायद आगे मायूसी मिले और हो जुनून फिर भी साथ चलने की..
बेमतलब किसी के साथ जुड़े रहना..
बेहिसाब किसी की खातिर प्यार लुटाना..
ना हो परवा , हैं वो पल भर के मेहमान या हमसफर,
मगर किसी के खुशियों की खातिर, हर मुश्किल से लड़ लेना..
यही तो है शिद्दत..
इरादे हो पाक तो अकसर मिल जाती है खुदा की इबादत
कुछ पाने की चाह में कर गुजरना..
नामुमकिन खविशों को पाने की आस रखना...
सवाल जब ये रहे की, वो मंजिल मिलेगी या नहीं,
फिर भी उस मंजिल तक पहुंचने के लिए जी -जान लगाना..
यही तो है शिद्दत..
इरादे हो पाक तो अक्सर मिलजाती है खुदा की इबादत।