लड़की हूं मैं
लड़की हूं मैं
हाँ लड़की हूं मैं...
किस्मत अच्छी तो वरदान हूं,
वरना श्राप ही कहलाती हूं,
किसी की घर की लक्ष्मी तो
किसी के लिए उम्र - भर का बोझ बनजाती हूं।
हाँ लड़की हूं मैं...
चाहे मैं रहूं बेटी या किसी की बहू बन जाऊँ,
दोनों ही पहलू मैं पराई कहलाती हूं,
दुनिया ये कैसी रीत है बनाई,
हर रिश्ते को निभाते हुए अपना वजूद भूल जाती हूं ।
हाँ लड़की हूं मैं...
आज लड़कों के बराबर खुदको कामयाब बनाया,
निकली मैं चार दिवारी से और दुनिया मैं अपना पहचान बनाया,
नामुमकिन जैसा कुछ नहीं अगर इरादे मेरे कमजोर नहीं,
कामयाबी के शिखर पर हूं आज इस काबिल खुद को बनाया।
पर सच तो ये भी है, अगर दुनिया से लड़ना पाऊं,
अवला या बिचारी आज भी कहलाऊं,
या तोड़ लूं झूठी रिवाजों को तो फिर
दुनिया के नज़रों मैं चरित्रहीन बनाजाऊ।
हाँ लड़की हूं मैं...
पर हक है मुझे आजाद पंछी की तरह जिऊं।
हाँ लड़की हूं मैं...
ना करूं परवा जमाने की और अपनी धुन मैं बहती जाऊं।