न प्रेम न उम्र की सीमा
न प्रेम न उम्र की सीमा
प्रेम की कोई उम्र नहीं होतीं जन्म लेने से मृत्यु तक साथ रहती
तभी तो कहते हैं हम बूढ़े हो जाते पर प्रेम भावना जवान रहती
जीवन के इस पड़ाव पर हमें किसी के साथ होना प्रेम लगता है
किसी का हमारे लिए चिंता करना व बातें करना प्रेम लगता है
अपने जीवनसाथी का साथ छोड़ जाना हमें बेचैन कर देता है
तब कहीं से किसी से प्रेम मिल जाने की हुडक पैदा करता है
जब बच्चे पोते पोती अपनी मायामयी दुनिया में खोये रहते हैं
तब किसी से दो शब्द प्रेम व बात मन की कहने को तरसते है
तब उत्पन्न होता है वृद्धावस्था में प्रेम जो सिर्फ लगाव ढूँढता है
फिर प्रेमी उम्र नहीं देखता शायद दुनिया को यही बुरा लगता है
पर किसी के प्रेमी के बिछुड़ने का गम सिर्फ़ प्रेमी ही जानता है
दिल धड़कता है अंतिम साँस तक और मुआ जवान ही रहता है!