मुस्कुराती धूप
मुस्कुराती धूप
चाँदी सी मुस्कान लिए
थोड़ी मटकती, थोड़ी मचलती
आई धूप
मेरे आँगन में,
देकर रोशनी और गर्माहट
बोली मुझसे....
कुछ पल बैठ संग मेरे
थोड़ा बतिया लो
और लिख दो कुछ ऐसा कि
महक़ उठे
मेरी मुस्कान संग
चहुँ दिशाएँ और हर जन मानस।
चाँदी सी मुस्कान लिए
थोड़ी मटकती, थोड़ी मचलती
आई धूप
मेरे आँगन में,
देकर रोशनी और गर्माहट
बोली मुझसे....
कुछ पल बैठ संग मेरे
थोड़ा बतिया लो
और लिख दो कुछ ऐसा कि
महक़ उठे
मेरी मुस्कान संग
चहुँ दिशाएँ और हर जन मानस।