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Rajiv Jiya Kumar

Abstract

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Rajiv Jiya Kumar

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मुस्कान मेरी

मुस्कान मेरी

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वह मुस्कान मेरी

मुस्कान पर उसके

जां मुस्कान संंग वार दें,,

यह मुस्कान ईक नेमत 

मुस्कान संग ईश ने

मुस्कान के साथ 

यह मुस्कान मेरे

लिए मेेेेेेरी मुस्कान गढी,,

मुस्कान मुस्कान बिखेरती

मुस्कान भरे आँँगन में

रखता सहेज मुस्कान अपनी

मुस्कान को अपने दामन में,,

सोचता मुस्कान अपनी

लब्ध जैसे मुस्कान

मुस्कान में सुलभ 

या फिर यह मुस्कान है दुर्लभ 

और जहां में पाने को मुस्कान 

मुस्कान से करनी जद्दोजहद।।

         

   


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