मुरली
मुरली
भगवान की मुरली बजती है, नया उजेरा लाती है
स्वदर्शन से पहचान कराती, जीवन का आगाज़ बताती
अंहकार अंधकार मिटाती, भटके हुओं को राह दिखाती
काम क्रोध से मुक्त कराती, जीवन में बदलाव है लाती
मुरली का है एक ही सार, सत्य पहचानो करो विचार
परमात्मा है निरंकार, परमधाम उसका संसार
परमात्मा में लीन कराती, भवबन्धन से पार ले जाति
देती एक ही धुन सुनाइ, समझो सब को भाई भाई
साक्षी बनो करो न बुराई, स्वीकार करो जो देता दिखाई
जीवन जीने का यही आधार, ज्ञान ख़ुशी सच्चा संस्कार
पूछे मुरली यही सवाल, कितना जाना अपना हाल
मुरली का है यही सारांश, रहे सदा योग योगांश
बने सदा पवित्रांश, मन वचन और कर्मांश
परमात्मा ही मात पिता, शिक्षक, सदगुरू, बंधू सखा
हम सब उसका ही अंश, याद रहे सदा ये मंत्र।