नन्ही सी कली
नन्ही सी कली
नन्ही सी कली, आंगन में खिली।।
हँसती, मुसकराती, खिलखिलाती,
सारे घर में ख़ुशियाँ फैलाती।।
बाबा का मान, मां की शान।।
नन्ही सी कली, आंगन में खिली।।
तन सुंदर, मन सुंदर,
सुंदरता की मूरत है।।
नन्ही सी कली, आंगन में खिली।।
तेरी किरणों की शक्ति से,
तन पावन, मन पावन।।
तेरी किरणों की शक्ति से,
ये सारा जग पावन।।
नन्ही सी कली, आंगन में खिली।।
तू शक्तियों का प्रतीक है,
जान जाए तो रमणीक है।।
प्रेम तुझ में, माधुर्य तुझ में,
ज्ञान तुझ में, आनंद तुझ में।।
नन्ही सी कली, आंगन में खिली।।