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Happy{vani} Rajput

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Happy{vani} Rajput

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बैरी चांद विस्मृत हो जाए

बैरी चांद विस्मृत हो जाए

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मैंने पूछा चांद से

कि पाया रूप कहाँ से

क्या मैं निखर लूँ थोड़ा

तेरी चांदनी तेरे स्वरूप से


तू जगमग, तू हरसूहरम

तेरे दीदार से जगमगाती

चांदनी रात शीतलम

गर रात ऐसी छटा पाए


तो ए चांद बता क्या जादू

छटा का मुझपर भी छाए

तेरी शीतल सफेद किरणों से

वर्ण मेरा भी उज्जवल हो जाए


कुछ कर ऐसा जादू मुझपर

तेरी श्वेतांबरी चांदनी से

श्वेत वर्ण मेरा भी हो जाए

अद्भुत सौंदर्य मुझपर भी छाए


पर चांद बड़ा बैरी निकला

किरण बिखेर निशा पर

मंद मंद मुस्काए निराला

चुप्पेसे भोर में विस्मृत हो जाए!



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