प्रकृति की जुबानी
प्रकृति की जुबानी
कहीं तुम से प्रकृति रानी
आज अपनी ही जुबानी
तुम और मैं एक दूजे के सानी
मुझसे तुम और तुझ से हूं मैं
सुन लो मेरी यही कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
नील गगन है आकाश मेरा
एकदम शीतल शांत सवेरा
कभी है पूरा पर रहे
कभी अधूरा अधूरा
मेरे पास गगन सुहानी तो
तेरे पास बुद्धि मस्तानी
सुन लो मेरी यह कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
काले बादल घिर घिर आते
तेरा मन भी कभी डुलाते
जो तू देता वही मैं देती
तेरा तुझ को लौटा देती
मुझसे तुम और तुझ से मैं हूं
सुन लो मेरी यह कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
यह वृक्ष है मेरी सांसों का स्रोत
आज ये दूषित ओतप्रोत
तुमने मुझसे वृक्ष यह छीने
ना मैंने तुमसे सांसे छीनी
मुझसे तुम और तुझ से मैं हूं
सुन लो मेरी यह कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
p>नदियां मेरे जल का स्रोत
अब यह भी हैं सूख चले
जल ही जीवन जीवन ही जल
फिर किस किससे कहोगे कल
मुझसे तुम और तुझ से हूं मैं
सुन लो मेरी यही कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
जिसने तुम को शक्ति है दी
उसको तुमने नष्ट है किया
साधन ढूंढे आसानी ये की
तरह तरह की मनमानी भी कि
मुझसे तुम और तुझ से हूं मैं
सुन लो मेरी यही कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
सादा जीवन उच्च विचार
जीवन का भी यही आधार
सोच बड़ी तो जग है बड़ा
इससे छूटे तो कष्ट है बड़ा
मुझसे तुम और तुझ से हूं मैं
सुन लो मेरी यही कहानी
कहे तुमसे प्रकृति रानी
प्रकृति की गोद से आए
पांच तत्वों से मिलकर बने हम
ऋण ना कभी चुका पाएँ
हम सबको याद है रखना
अंत में सबको इसमें ही मिल ना
कर सको तो कर लो प्रायश्चित
इसे बचाओ रहो सुरक्षित