मुर्दे में आ जाती जान है
मुर्दे में आ जाती जान है
जिस माटी के तिलक से मुर्दे में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
इस माटी को एक नही हजारों बार नमन करता हूँ,
इस राजस्थानी माटी से उपजे रत्न कहीं महान है
इस माटी का दीवाना हूँ,इसके लिये गाता गाना हूँ
इसे ख्वाब में भी देखूं,लबो पे आ जाती मुस्कान है
जिस माटी के तिलक से मुर्द में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
राजस्थानी माटी पे में पल-पल बलिहारी जाऊं
एक नही,हजार जन्म इस पे कुर्बान कर जाऊं
ये कोरी माटी नही,मां सा इसका हृदय में स्थान है
तुझे नित सवेरे वंदन करता हूँ,तू साखी की जान है
जिस माटी के तिलक से मुर्दे में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
भोले बाबा के माथे पे जो चंद्रमा का स्थान है
वैसे भारत के माथे पे चमकता सितारा राजस्थान है
खाने पीने के शौकीन,मीठी बोली की बजाते बीन,
आन-बान के लिये पग-पग देते यहां पे बलिदान है
ऐसी वीर भूमि को तो देवता भी करते प्रणाम है
लाखों पुण्योदय होने पे इस भूमि पे मिलता जन्म,
में सौभाग्यशाली,इस धरा का मिला तिलक दान है
ये गौरव भी कम नही,ये मेवाड़ी जन्नत से कम नही
स्वर्ग से ज्यादा खिले पुष्प यहां साखी अनजान है
जिस माटी के तिलक से मुर्दे में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
इस माटी को साखी क्या,फरिश्ते भी करते सलाम है
इस माटी से तिलक लगाओ,ये धरती वीरों की खान है
जो छू लेता इस माटी को जाने में या फिर अनजाने में,
वो गाता रहता लाख शूलों में स्वाभिमान का गान है
मृत्य के ऊपर भी अपना पैर रख देता वो इंसान है
जो इस राजस्थानी माटी के दुग्ध का करता पान है
जिस माटी के तिलक से मुर्दे में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
अपनी किस्मत पे ये साखी फूला नही समाता है
ख्वाबो की छत के नीचे आज खुद को पाता हूँ
ये माटी दहकते शोलों में मुस्कुराने वाली कान है
जो इसे मां समझे उनका रोशन करती खानदान है
जिस माटी के तिलक से मुर्दे में आ जाती जान है
ऐसी वीर वसुधा बलिदानी भूमि तो राजस्थान है
दिल से विजय