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Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

मुन्तज़िर है काबिलियत

मुन्तज़िर है काबिलियत

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मुन्तज़िर है काबिलियत 

अपने अधिकारों का जहाँ ढूँढते

ख़ामोशियों के आदी हम 

चिंगारी को हवा देने से कतराते हैं

क्यूँ वहाँ पर मुखर नहीं हो पाते 

जहाँ हमारे हक को छीन कर 

कोई भाग रहा होता है

आरक्षण का अजगर निगल गया 

होनहार छात्रों के हुनर को 

हम सालों से तक रहे हैं

मौन उस बवंडर को 

टीश उभरती है देखी है

उस लड़के की आँखों में कभी किसी ने

निन्यानबे प्रतिशत हाथ पर होते हुए 

कुर्सी थमा दी जाती है जब

पचास प्रतिशत वाले दलित को

उस आह की आवाज़ भले नही आती

आत्मा ही अधीर हो जाती है

खुद को अंधे कायदों की बलि चढ़ते देख

उस लायक बच्चों की।



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